प्रेमानंद महाराज, जो राधा रानी की भक्ति और सेवा के प्रतीक माने जाते हैं, भारत के एक प्रसिद्ध संत और कथावाचक हैं। उनके जीवन के हर पहलू में भक्ति, त्याग और आध्यात्मिकता की झलक मिलती है। इस लेख में हम उनके परिवार, मंत्र, कथा समय, भोजन की आदतें और उनके वर्तमान निवास स्थान के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

पूर्ण नाम और प्रारंभिक जीवन
प्रेमानंद महाराज का जन्म अनिरुद्ध कुमार पांडे के नाम से उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के अखरी गांव में हुआ था। उन्होंने बहुत ही कम उम्र से आध्यात्मिकता की ओर रुझान दिखाया और 13 साल की उम्र में सांसारिक जीवन का त्याग कर दिया।
परिवार का परिचय
महाराज जी एक साधारण ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए थे। उनका परिवार धार्मिक प्रवृत्ति का था, जिसने उनके प्रारंभिक जीवन में आध्यात्मिक मूल्यों को विकसित करने में मदद की। हालांकि, उन्होंने किशोरावस्था में ही संन्यास ले लिया था और परिवार से अलग हो गए, लेकिन उनके प्रारंभिक जीवन की शिक्षा ने उनके आध्यात्मिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आध्यात्मिक यात्रा और शिक्षाएँ
13 वर्ष की आयु में प्रेमानंद महाराज ने श्री हित गोविंद शरण जी महाराज से दीक्षा ली और अपना जीवन राधा रानी की सेवा में समर्पित कर दिया।
महाराज जी का प्रमुख मंत्र
महाराज जी का प्रमुख मंत्र “राधे राधे” है। वे अपने अनुयायियों को इस मंत्र का जाप करने की प्रेरणा देते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि यह मंत्र मन को शुद्ध करता है और आत्मा को शांति प्रदान करता है।
कथा समय और भजन
प्रेमानंद महाराज अपने प्रेरणादायक प्रवचनों और भजनों के लिए प्रसिद्ध हैं।
- कथा का समय:
महाराज जी की कथाएँ आमतौर पर शाम 6:00 बजे से 9:00 बजे तक आयोजित होती हैं। उनके प्रवचनों में भक्तों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन और प्रेरणा मिलती है। - भजन:
उनके भजन राधा-कृष्ण की महिमा का गुणगान करते हैं। “राधे राधे बोल” और “राधिका जीवन में आओ” जैसे भजन उनके भक्तों में अत्यंत लोकप्रिय हैं।

भोजन की आदतें
प्रेमानंद महाराज सात्विक और शुद्ध आहार को अपने जीवन का हिस्सा मानते हैं।
- क्या खाते हैं महाराज जी?
वे मुख्य रूप से फल, दूध, रोटी और बिना प्याज-लहसुन के हल्का भोजन करते हैं। - आहार का महत्व:
महाराज जी का मानना है कि भोजन न केवल शरीर को प्रभावित करता है, बल्कि मन और आत्मा को भी प्रभावित करता है। शुद्ध सात्विक आहार से मन शांत रहता है और ध्यान में गहराई आती है।
महाराज जी का वर्तमान निवास
प्रेमानंद महाराज वर्तमान में वृंदावन के अपने आश्रम में रहते हैं। यह आश्रम भक्तों के लिए एक पवित्र स्थल है, जहाँ वे ध्यान, प्रार्थना और सेवा में समय बिताते हैं।
आश्रम की विशेषताएँ
- ध्यान और प्रार्थना सत्र: नियमित सत्र भक्तों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करते हैं।
- सेवा के अवसर: आश्रम में भोजन वितरण, शिक्षा और अन्य सेवा कार्य किए जाते हैं।
- त्योहारों का आयोजन: जन्माष्टमी और राधाष्टमी जैसे उत्सव आश्रम में बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं।
आयु और योगदान
हालांकि महाराज जी की सटीक आयु सार्वजनिक रूप से ज्ञात नहीं है, उनकी ऊर्जा और सक्रियता उनकी उम्र को छुपा देती है। वे न केवल अपने प्रवचनों के माध्यम से बल्कि समाज सेवा के माध्यम से भी लोगों के जीवन को प्रेरित करते हैं।
निष्कर्ष
प्रेमानंद महाराज का जीवन त्याग, भक्ति और सेवा का आदर्श है। उनका मंत्र जाप, प्रवचन और भक्ति भरे भजन जीवन को आध्यात्मिक दिशा प्रदान करते हैं। उनके आश्रम में समय बिताना और उनकी शिक्षाओं को अपनाना हर व्यक्ति के लिए एक विशेष अनुभव हो सकता है।